भगत सिंह, वह नाम, जिससे सुनते ही हर भारतीय का सर श्रदा से झुक जाता है.कितना अहसान है उनका हम पर उन क्रान्तिकारियो का जिनके कारन हमे ये आज़ादी मिली. क्या हम उनके अपमान के बारे में सपने में भी सोच सकते है . नही ना, लेकिन इस सरकार ने तो जैसे कसम खायी हुई है क्रान्तिकारियो को अपमानित करने की.
पिछले २८ जून को इस देश के तथाकथित इमानदार प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को एक पत्र लिखा और उनसे अनुरोध किया की दिल्ली के बीचोबीच कनाट पेलेस के एक मशहूर चोराहे विंडसर पेलेस(जहा पर ली मेराडियन और शंगरीला जैसे मशहूर पंचसितारा होटल मोजूद है) उसका नाम बदलकर सर शोभा सिंह के नाम से कर दिया जाए. अब सब से पहले सवाल ये उठता है की ये जनाब सर शोभा सिंह है कोन, तो उसका जवाब है सर शोभा सिंह वह व्यक्ति है जिससे आज़ादी के बाद फांसी के फंदे पर चड़ा देना चाहिए था लेकिन हमारी गुलामी की मानसिकता और काले अंग्रेजो ने तो उसके नाम को महिमामण्डन का फैसला कर लिया है. अब आप सोच रहे होंगे आखिर शोभा सिंह है कोन जिसका नाम लेते ही हमने इतनी बड़ी-बड़ी बाते लिख दी. तो हम आपको बताना चाहते है शोभा सिंह उस गद्दार का नाम है जिसने भारत की आज़ादी के साथ छल किया था,शोभा सिंह उस व्यक्ति का नाम है जिसने लाहोरे संसद बम केस में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ लाहौर बम कांड में गवाही दी थी.
जिसके कारण शहीद भगत सिंह को फांसी के फंदे पर झुलना पड़ा. क्या अब हमारे देश में क्या इससे गद्दारों के नाम पर सडको का नाम रखा जाएगा. क्या अब हमारे देश में इस प्रकार से आज़ादी के लिए लड़ने वालो का अपमान किया जाएगा. क्या अब हमारे देश में शहीदों को इस प्रकार से जलील किया जाएगा.
नही बहुत हुआ,now enough is enough, हमने सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक पत्र लिखकर उनका फैसला वापिस लेने की अपील की है,लेकिन अगर सरकार फिर भी सरकार अगर अपने अड़ियल रुख पर कायम रहती है तो आगामी दिनों में हम इस फैसले के विरोध में पूरे देश में मुहीम चलने का निर्णय किया है. पूरे देश में सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्टीकर पोस्टर कैम्पेन,हस्ताक्षर अभियान और अंत में अनशन और जेल भरो अभियान चलने का निर्णय किया है.हम ने देश के प्रधानमंत्री से पत्र के माध्यम से अपील की है इसका मतलब ये नही समझा जाना चाहिए की हमारे अंदर भगत सिंह का खून ख़तम हो गया है. इस पत्र को चाहे निवेदन समझा जाए या चेतावनी लेकिन एक बात तो पक्की है की इस सड़क का नाम शोभा सिंह के नाम पर नही करने दिया जाएगा.और अगर सोचती है की वह ४ जून जैसे घटना की तरह अपनी लाठी-गोली-जेल से हमे डरा लेगी तो हमे सरकार की यह चुनोती भी स्वीकार है. यही तो समय है जांचने का कि जनरल डायर की औलादों में ज्यादा दम है यां भगत सिंह की सच्ची संतानों में. भगत सिंह आज हम आपके बलिदान कि शपथ खाकर ये फैसला लेते है कि आपके बालिदान को अपमानित नही होने दिया जाएगा,आपके कातिलो का महिमामण्डन नही होने दिया जाएगा और उसके लिए हम सरकार के खिलाफ हर संघर्ष के लिए तेयार है. आखिर में सिर्फ एक पंक्ति के साथ अपनी बात ख़तम करना चाहूँगा
"खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,सरफरोशी कि तमन्ना अब हमारे दिल में है"
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पिछले २८ जून को इस देश के तथाकथित इमानदार प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह जी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को एक पत्र लिखा और उनसे अनुरोध किया की दिल्ली के बीचोबीच कनाट पेलेस के एक मशहूर चोराहे विंडसर पेलेस(जहा पर ली मेराडियन और शंगरीला जैसे मशहूर पंचसितारा होटल मोजूद है) उसका नाम बदलकर सर शोभा सिंह के नाम से कर दिया जाए. अब सब से पहले सवाल ये उठता है की ये जनाब सर शोभा सिंह है कोन, तो उसका जवाब है सर शोभा सिंह वह व्यक्ति है जिससे आज़ादी के बाद फांसी के फंदे पर चड़ा देना चाहिए था लेकिन हमारी गुलामी की मानसिकता और काले अंग्रेजो ने तो उसके नाम को महिमामण्डन का फैसला कर लिया है. अब आप सोच रहे होंगे आखिर शोभा सिंह है कोन जिसका नाम लेते ही हमने इतनी बड़ी-बड़ी बाते लिख दी. तो हम आपको बताना चाहते है शोभा सिंह उस गद्दार का नाम है जिसने भारत की आज़ादी के साथ छल किया था,शोभा सिंह उस व्यक्ति का नाम है जिसने लाहोरे संसद बम केस में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ लाहौर बम कांड में गवाही दी थी.
जिसके कारण शहीद भगत सिंह को फांसी के फंदे पर झुलना पड़ा. क्या अब हमारे देश में क्या इससे गद्दारों के नाम पर सडको का नाम रखा जाएगा. क्या अब हमारे देश में इस प्रकार से आज़ादी के लिए लड़ने वालो का अपमान किया जाएगा. क्या अब हमारे देश में शहीदों को इस प्रकार से जलील किया जाएगा.
नही बहुत हुआ,now enough is enough, हमने सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक पत्र लिखकर उनका फैसला वापिस लेने की अपील की है,लेकिन अगर सरकार फिर भी सरकार अगर अपने अड़ियल रुख पर कायम रहती है तो आगामी दिनों में हम इस फैसले के विरोध में पूरे देश में मुहीम चलने का निर्णय किया है. पूरे देश में सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्टीकर पोस्टर कैम्पेन,हस्ताक्षर अभियान और अंत में अनशन और जेल भरो अभियान चलने का निर्णय किया है.हम ने देश के प्रधानमंत्री से पत्र के माध्यम से अपील की है इसका मतलब ये नही समझा जाना चाहिए की हमारे अंदर भगत सिंह का खून ख़तम हो गया है. इस पत्र को चाहे निवेदन समझा जाए या चेतावनी लेकिन एक बात तो पक्की है की इस सड़क का नाम शोभा सिंह के नाम पर नही करने दिया जाएगा.और अगर सोचती है की वह ४ जून जैसे घटना की तरह अपनी लाठी-गोली-जेल से हमे डरा लेगी तो हमे सरकार की यह चुनोती भी स्वीकार है. यही तो समय है जांचने का कि जनरल डायर की औलादों में ज्यादा दम है यां भगत सिंह की सच्ची संतानों में. भगत सिंह आज हम आपके बलिदान कि शपथ खाकर ये फैसला लेते है कि आपके बालिदान को अपमानित नही होने दिया जाएगा,आपके कातिलो का महिमामण्डन नही होने दिया जाएगा और उसके लिए हम सरकार के खिलाफ हर संघर्ष के लिए तेयार है. आखिर में सिर्फ एक पंक्ति के साथ अपनी बात ख़तम करना चाहूँगा
"खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,सरफरोशी कि तमन्ना अब हमारे दिल में है"
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We really more of Bhagat Singh than Gandhis for building the new "Bharat". Ek awaaz to lagao aur hazaroon Bhagat Singh khade ho jayenge!
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